सत्संग घाट

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यह घाट किसी समय लश्करी घाट के नाम से भी जाना जाता था। इसके समीप मोक्ष वाटिका में मृतकों के नौ नहाने के बाद महिलाओं द्वारा स्नान करके एवं कपड़ा बदलने की शुभ व्यवस्था थी। घाट पर जमी मिट्टी में घाट दब गए और धार्मिक आस्था से पूर्ण गऊघाट निवासी लाला श्री गिरिराजधरण खण्ड वालों द्वारा घाटों के ऊपर श्री गिरिराज महाराज का मंदिर एवं ऊपर की बगीची में सत्संग भवन तथा रास स्थल का निर्माण कराया किन्तु घाटों पर जमी मिट्टी के कारण घाट काल के गाल में समाए हुए थे। यमुना मिशन ने अपने अथक प्रयास द्वारा इस घाट की मिट्टी को हटाकर जीवंत बना दिया साथ ही उसके पास पुरुषों के स्नान के लिए बने घाट की सीढ़ियां तथा नीचे बनी तिवारियों को भी सुंदरता प्रदान की।