प्राचीनकाल से स्थित कमल कुण्ड लगभग 800 वर्षों से भी अधिक वर्ष पहले बाबा कमलदास ने ग्राम कौरेर में उत्तर दिशा में बनवाया था। जो कि देखने में अति सुदंर स्थान था, वहाँ कमल कुण्ड में अधिकाधिक कमल खिलते थे। वहाँ विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे देखने को मिलते थे। कमल कुण्ड के समीप में ही बिहारी जी का मंदिर स्थापित था। धीरे–धीरे समय बीतता गया लेकिन मूसलाधार वर्षा होने की वजह से यहाँ बाढ़ की स्थिति बन गई, जिससे यहाँ का स्थान उबर-खाबर भूमि की स्थिति में बदल गया। यहाँ से कमल कुंड व बिहारी जी के मंदिर का अस्तित्व भी खो चुका था। उस स्थान पर अधिक गंदगी की वजह से वहाँ के लोग कमल कुंड का नाम लेना ही भूल गए। परन्तु सन 2017 में यहाँ फिर से यमुना मिशन के द्वारा कमल कुंड नामक स्थान का आधार किया गया। इस स्थान को सुशोभित करने में यमुना मिशन का सहयोग रहा है। अब यह स्थान अत्यधिक स्वच्छ एवं देखने योग्य बन गया है। यहाँ यमुना मिशन के द्वारा हजारों पेड़-पौधे लगाए गए हैं। कमल कुंड के चारों ओर अति सुंदर वृक्ष हैं जिससे यात्रा मार्ग में ठंडी शीतलता छाया बनी रहती है। यहाँ यमुना मिशन के द्वारा बच्चों के लिए झूला आदि चीजों की व्यवस्था भी की है। यहाँ का प्रातः काल एवं संध्या काल का समय अत्याधिक शोभायमान दिखता है और सब कुछ यमुना मिशन के सहयोग के द्वारा ही किया जा सका है।