चक्रतीर्थ घाट

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चक्रतीर्थ तु विख्यातं माथुरेमममण्डले।

यस्तत्र कुरुतेस्नानं त्रिरात्रोषितोनरः।

स्नानमात्रेण मनुजोमुच्यते ब्रह्महत्यया।। 

मथुरा मण्डल में चक्रतीर्थ विख्यात है, जो व्यक्ति तीन दिन उपवास करके इस स्थान पर स्नान एवं ध्यान करेंगे वे व्यक्ति निश्चय ही ब्रह्महत्या से मुक्त हो जायेंगें। मथुरा मण्डल में यमुना तट पर स्थित यह तीर्थ सर्वत्र विख्यात है। निकट ही महाराजा अम्बरीष का टीला है, जहाँ महाराजा अम्बरीष यमुना के किनारे निवास कर शुद्ध भक्ति के अंगों के द्वारा भगवद् आराधना करते थे। द्वादशी पारण के समय राजा अम्बरीष के प्रति महर्षि दुर्वासा के व्यवहार से असन्तुष्ट होकर विष्णु-चक्र ने इनका पीछा किया। महर्षि दुर्वासा एक वर्ष तक विश्व ब्रह्माण्ड में सर्वत्र यहाँ तक कि ब्रह्मलोक, शिव लोक एवं बैकुण्ठ लोक में गये, परन्तु चक्र ने उनका पीछा नहीं छोडा। अन्त में भगवान विष्णु के परामर्श से भक्त अम्बरीष के निकट लौटने पर उनकी प्रार्थना से चक्र यहीं रुक गया। इस प्रकार ऋषि के प्राणों की रक्षा हुई। यहाँ स्नान करने से ब्रह्म-हत्या आदि पापों से भी मुक्ति हो जाती है और स्नान करने वाला सुदर्शन चक्र की कृपा से भगवद् दर्शन प्राप्तकर कृतार्थ हो जाता है। पौराणिक महत्व रखने वाले चक्रतीर्थ घाट की स्थिति भी जीर्ण हो चुकी थी। तब मुना मिशन द्वारा इस घाट का भी जिर्णोद्धार कराकर सुंदर और स्वच्छ बनाया गया। साथ ही इसके समीपवर्ती क्षेत्र में भी वृक्षारोपण कर सुदंर रुप देने का प्रयास किया गया और बच्चों के लिये झूले भी लगवाये गये। वर्तमान में यह स्थान बहुत रमणीय व देखने लायक है।