बाराह पुराण के अनुसार विरोचन के पुत्र राजा बलि ने इस सूरज घाट पर भगवान आदित्य की आराधना करके मनोवांछित फल प्राप्त किया था। ऐसी मान्यता है कि इस घाट पर स्नान करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जात हैं। यहीं पर भगवान सूर्यदेव अपनी द्वादश कलाओं से श्री कृष्ण की आराधना करते हैं। रविवार, संक्रांति, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण आदि के समय यहाँ स्नान मात्र से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। तंदुक घाट से लेकर सूर्य घाट तक सारा स्थान कूड़े के ढेर से अटा पड़ा था। कोने में एक ओर सूर्यनारायण का जीर्ण-शीर्ण मंदिर था। यमुना मिशन द्वारा इस घाट से कूड़ा करकट हटवाकर नवीनता एवं भव्यता प्रदान कर ली, श्री कृष्ण के नाती सांब के कष्ट करने एवं शरीर के कुष्ठरोग को दूर करने वाले इस घाट को कष्टमुक्त कराने में अपना दायित्व निर्वाहन किया है। इस घाट की भी स्थिति आप चित्र के माध्यम से देख सकते हो जहाँ यमुना मिशन ने गंदगी को दूर कर सुन्दर स्थान के रुप में इसको परिवर्तित किया।