चन्द्रसरोवर

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गोवर्धन से 2 किमी दूर भरतपुर मार्ग पर स्थित सूर साधन स्थल को चन्द्र सरोवर परासौली के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने यहाँ गोपियों के संग महारास किया था। इसी गाँव में महारास स्थल, चन्द्र सरोवर, चन्द्रबिहारी मन्दिर, सूर कुटी, राम चबूतरा, सूरदास की समाधि स्थल इत्यादि दर्शनीय हैं। सूर श्याम, चन्द्र सरोवर, अष्टछाप के महान कवि सूरदास जी की साधना स्थली रही। जहाँ उन्होंने कृष्ण भक्ति में लीन होकर काव्य की किरणों से धरा पर भक्ति की छटा बिखेरी। यमुना मिशन द्वारा चन्द्र सरोवर का पंकोद्वार किया गया तथा चंद्र सरोवर के पंकोद्धार के पश्चात महावृक्षारोपण कार्य प्रारम्भ किया गया। प्रथम चरण में सरोवर के चारो ओर वृक्ष लगाये गये, सरोवर के किनारे उत्तर दिशा में मोक्षधाम था, जो अत्यंत दयनीय स्थिति में था जिसमें अत्येष्टि भी बहुत मुश्किल से की जाती थी। क्योंकि वहाँ बहुत बड़ी-बड़ी बबूल की झाड़ियाँ थी। यमुना मिशन द्वारा उन्हें साफ करवाया गया, फिर चारदीवारी बनवाई गई और एक ओर मोक्ष धाम बनवाया गया। मोक्ष धाम में सुन्दर-सुन्दर फलदार, फूलदार व सघन छाया वाले वृक्षों को रोपण यमुना मिशन द्वारा किया गया।

अक्टूबर 2017 को चंद्रसरोवर के तट पर स्थित सूर श्याम गौशाला परिसर में सूर श्याम उपन की स्थापना की गई। आज भी यमुना मिशन द्वारा चंद्र सरोवर का रख रखाव एवं वृक्षों का पोषण निरंतर किया जा रहा है।