यमुना मिशन द्वारा यमुना जी के बंगाली घाट पर किए जा रहे सिल्ट साफ करने के काम में बुधवार को जैसे ही पॉकलेन ने यमुना की गहराई से सिल्ट निकलना शुरू किया, वहां से बालू से भरे बोरे निकलने लगे। बताया जाता है कि ये बोरे घाट के निर्माण के दौरान लगाए गए थे। ठेकेदार की लापरवाही के कारण इन्हें नहीं निकाला गया।
बुधवार को यमुना का जल स्तर घटते ही यमुना सिल्ट हटाने के काम में गति आ गई। करीब 20 मीटर तक पॉकलेन ने बंगाली घाट के सबसे नीचे की सीढ़ी से सिल्ट हटा दी। यह जल स्तर नगर आयुक्त रविंद्र कुमार मांदड़ के निर्देश पर गोकुल बैराज से पानी कम करके किया। यमुना में जैसे ही पॉकलेन ने घाटों से अलग सिल्ट उठाना शुरू किया, मिट्टी लदे बोरे निकलने लगे।
यह बोरे काफी पुराने थे तथा इनमें मिट्टी भरी हुई थी। बताया जाता है कि ये बोरे करीब 25 वर्ष पूर्व बंगाली घाट के पुनर्निर्माण के समय लगाए गए थे। ठेेकेदार ने सपोर्ट के लिए लगाए बोरों को हटाया नहीं था। यही बोरे नालों की गंदगी का यमुना में जमने का कारण बन गए। यमुना कार्य मिशन के प्रमुख कार्यकर्ता अरुण शर्मा ने बताया कि सिल्ट हटाने में अन्य गंदगी के अलावा मिट्टी लदे बोरे भी मिल रहे है।
नगर आयुक्त ने तय की समय सीमा नगर आयुक्त ने सिल्ट हटाने के काम को लेकर समय सीमा तय कर दी। उन्होंने यमुना मिशन के प्रमुख कार्यकर्ता को मानसून को देखते हुए 25 जून से पहले सिल्ट हटाने के काम पूरा करने को कहा है।
यमुना भक्त सिल्ट की कीमत बता रहे करोड़ों रुपये
जिस सिल्ट के चलते यमुना के अस्तित्व पर बन आई। अब उसी सिल्ट को यमुना भक्त करोड़ों रुपये की बता रहे हैं। घाटों पर यमुना पूजन करने वाले श्रद्धालु यमुना जी में सोने-चांदी से लेकर अन्य धातुओं का शृंगार भी करते हैं। यह श्रद्धालु कभी-कभी गुप्त दान भी करते हैं। इसके चलते जेवरात, हार आदि यमुना में ही विसर्जित कर देते हैं।
नगर आयुक्त ने बताया कि वह इस सिल्ट को अपनी आवश्यकता के अनुसार निगम की जमीन पर डलवाएंगे। वह नालों की जमी हुई गंदगी है। इसका प्रयोग हम अपने पौधरोपण वाले स्थानों पर भी कर सकते हैं। वहीं यमुना मिशन के प्रमुख कार्यकर्ता ने कहा है कि निगम जहां चाहेगा सिल्ट को ले जाएगा।
Source: Amar Ujala
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