आज यमुना मिशन सफलता पूर्वक इस कार्य को ब्रज मंडल में वृंदावन से मथुरा होते हुए गोकुल घाट तक 18 किलोमीटर की दूरी तक कर चुका है । सैकड़ो वर्षो से यमुना के तटों पर शहर के गिरते कचरे मलबे और गन्दगी के ढेरों को मिशन ने यमुना नदी से सर्वाधिक निकाला और उसका उपयोग तटों को बनाने के लिए किया जिससे गिरते हुए नालों का रुख यमुना से मोड़ दिया गया और निकले हुए कचरे पर वृक्ष लगा दिए गए । अभी भी यह कार्य निरन्तर चल रहा है क्योंकि कचरा भी निरन्तर आ रहा है । लेकिन यहाँ अन्य शहरों में कचरे के ढेर बन रहे है जो पहाड़ो का स्वरूप लेते जा रहे है इनमें आग लगने पर शहर के शहर जहरीली हवाओं से ढक जाते है लाखों लोगों की बीमारी का कारण बन रहे है जिसका किसी के पास कोई व्यवस्था नही है ।
आज सम्पूर्ण ब्रजमंडल में आपको कूड़े के ऐसे पहाड़ नजर नही आएंगे ।क्योकि जब कचरे पर वृक्षों को विशेष तरीके से लगाया जाता है तो यह कचरे को कुछ दिन में उपजाऊ मिट्टी में परिवर्तित कर देता है साथ ही साथ जिस कचरे से 2 से 3 मीटर तक कि उचाई की पटरी बनाई जाती है वह भी धीमे धीमे कचरे के बीच की जगह भरने पर बैठती जाती है अतः दोबारा फिर कचरे को उसके ऊपर डाला जाता है ।यह बहुत ही धैर्य का कार्य है जो निरन्तर चलता रहता है ।
– Arun Sharma