प्रकृति से सकारात्मक से शांति

प्रकृति से सकारात्मक से शांति

प्रकृति से जुडाव होने पर विचारों में सकारात्मक आती है, सकारात्मक विचारों से दिमाग के सीखने की क्षमता पर असर डालते हैं । हरे-भरे वृक्षों के मध्य शांत वातवरण और वृक्षों पर बैठे पक्षियों के संगीत से निकलती ऊर्जा से जब सकारात्मक विचार आतें हैं, मन खुशी और उम्मीद से भर जाता है । सकारात्मक विचार से मस्तिष्क की कार्य प्रणाली, रचनात्मक चिंतन, संज्ञानात्मक स्वतंत्रता मिलती है और यहाँ तक कि दिमाग तेजी से काम करने लगता है । सकारात्मक विचार में वाकई में हमारी एकाग्रता का समय बढ़ा देते हैं । यह हमारी धारणा और फोकस को भी बदलते हैं । व्यक्ति तनाव में होता है तो दिमाग सामान्य कामकाज में भी कठिनाई महसूस करताहै ।

प्रकृति में कहीं भी नराकात्मकता नहीं है । धरती मल-मूत्र-कचरा को सूर्य नारायण भगवान के सहयोग से पवित्र मिट्टी में परिवर्तित करती है । वृक्षों के माध्यम से गंदे जल को ऊपर पहुँचाकर सूर्य भगवान् को सबसे पवित्र जल वृक्ष ही अर्पित करते हैं ।और जडों के माध्यम से जल को पवित्र करके धरती में भविष्य के लिए सुरक्षित करते हैं । जैसे माँ के गर्भ में बच्चे का पवित्र विकास होता है । वैसे ही धरती में जल की पवित्रता बढती रहती है ।

*यमुना मिशन से जुड़कर लोगों में फैली निराशा को खुशी में बदलें । प्रकृति संवर्धन पंच देव उपासना है । अतृप्त आत्मा को शांति मिले, प्रकृति की सेवा सच्ची ईश्वर की उपासना है, शांति ही परम है, यही शांति ईश्वर की आत्मा है 🙏

Written by – Krishna