Rishi Vohra: Why negative messages? Is education really bad? Being educated is crime ?
Illiterate and uneducated have done more harm by opposing the afforestation progm. We have a example from recent past where Yamuna Mission’s work- Masani nallah project was stopped by such people. In my opinion, educated is a person who cares for environment and help and guide others too.
Pradeep Bansal: ज़बर्दस्त विचार। आपने मन की बात कह दी। मैं हमेशा ही नकारात्मक विचारों को डिलीट करने की बोलता रहता हूँ। वैसे ये कहा जा सकता है कि देश में शिक्षित लोग अशिक्षितों से तो बहुत बेहतर हैं, लेकिन उतने बेहतर नहीं जिससे कि समाज में कोई क्रांतिकारी बदलाव आ सके। सब “लकीर के फ़क़ीर” बने रहकर ही खुश हैं।
Pragati Bhatt: It’s not negative massage sir , mean while the summary of the massage is about nature only ,we all know uneducated villagers are only people who planted most of the jungals, uneducated villagers are only people who value the nature more then educated people living in the cities, they are more connected to nature then most of the educated people . there are many example of this, so don’t take it much seriously. Educated or uneducated is not agenda, agenda is only Nature.
Pradeep Bansal: सिर्फ नीम की दातुन कर लेने मात्र से दांतों की सफ़ाई संभव नहीं। उसी तरह नीम का पूजन उस समय सही रहा होगा जब पेड़ बहुत थे और जनसंख्या कम। लेकिन आज के परिदृश्य में तो एक ही लक्ष्य होना चाहिए-वृक्षारोपण,वृक्षारोपण और केवल वृक्षारोपण।
वही बात तो कही जा रही है, प्रगति जी। प्रकृति का दोहन करने में पढ़ा और बे पढ़ा लिखा होना ज़रूरी नहीं, ये तो व्यक्ति पर निर्भर करता है। यदि अशिक्षित लोग प्रकृति की कद्र करते तो आज गाँवों में तालाबों, कुंडों और सरोवरों का ये हाल न हुआ होता। गाँवों में कचरे के निस्तारण का कोई हल किया ही नहीं गया है। हर जगह कूड़े के विशाल ढेर लगे पड़े हैं। इस मामले में दिल्ली सहित बड़े शहरों और देश के गाँवों में कोई विशेष अंतर नहीं दिखता।
Rishi Vohra: It is a misconception that educated don’t care for nature and environment. And biggest of all misconception is that villagers are uneducated.
About privileged and not so privileged class ( in terms of rural and urban)…. Urbanites are not as fortunate with vast open vistas and land and as people in villages. The race for development has devoured all.
There is difference between being literate and being educated.Educated is one who knows, abides and motivate others to follow laws of nature. Educated work on principle of ‘ Sarvebhavantu Sukhiah’
Krishna Nagar Baisala: जी sir बिल्कुल शिक्षित लोग बेहतर हैं लेकिन आज के समय में ज्यादातर शिक्षित और सम्पन्न लोग इस जुगत में रहते हैं कि बस कोई उनकी बराबरी में ना आ पाए दूसरों को कम आंकने लगते हैं।अब ऐसी मानसिकता से कैसे किसी का भला हो।
Pragati Bhatt: माफ़ कीजियेगा sir पोस्ट डिलीट कर दूंगी , परंतु मैं उत्तराखंड से हूँ और यहां की परिस्थितियों के हिसाब से पेड़ लगाने वाले लोग हमेशा से ग्रामीण और बेपढ़े लिखे लोग ही हैं , और पेड़ काटने वाले पढ़े लिखे लोग हैं , पढ़े लिखे लोगों ने विकाश को बढ़ावा दिया फैक्टरी और उद्योगों को बढ़ावा दे कर प्रदूषण फैलाया , पेड़ काट कर इंडस्ट्री और शहर बनाये , पर पेड़ पौधे और प्रकृति का साथ हमेशा से ही अनपड़ लोगो ने दिया है , 1 उदाहरण उत्तराखंड का दूंगी , चिपको आदोंलन जो उत्तराखंड से शुरू हुआ था , जिसमे गांव के जंगल के पेड़ों के काटने की खबर सुन कर गाँव की महिलाओं को साथ में लेकर गौरा देवी और सारी महिलाएं पेड़ों से जाकर चिपक गयी और पेड़ों को काटने बचाया , बात सिर्फ नीम या दातुन की नहीं है बात उन पढ़े लिखे लोगों की है जो पेड़ो की वैल्यू को किताबों में तो पढ़ते हैं परन्तु वास्तविक जीवन में महत्व नही देते।।🙏🏻
Pradeep Bansal: लेकिन शिक्षित लोग ये सब समझते हुए भी कुछ करते कहाँ हैं। अगर करते होते तो दिल्ली शहर में तो शिक्षित लोगों की खान है। लेकिन फिर भी यमुना विश्व की सबसे प्रदूषित नदी और दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी है।
Rishi Vohra: True,Delhi is a classic example of mismanagement. But where is true Delhite? Please forgive me, Delhi is flooded with migrants (both literate and illiterate) and people from other places who don’t consider it as their home. The multiplicity of authorities of Delhi has contributed to the chaos.
For Delhi, a massive wakeup ( Janjagran) progm is needed. Unless and until we have more and more citizens coming forward to save Yamuna… All efforts will go in vain.
Pradeep Bansal: बिल्कुल। हर बात देश काल और परिस्थिति को ध्यान में रखकर ही सत्य हो सकती है। इस विषय में आपका तर्क वज़नदार है। मैं तो अपने को अलग ही करता हूँ इस विचार विमर्श से। आप और रिषि जी इसे आगे बढ़ाएँ जिससे कि सभी सदस्य आपके तर्कशील विचारों से अवगत हो सकें। प्रगति पढ़ी लिखी हैं, कुशाग्र हैं, हिमालय के आँचल में पली बढ़ी हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि थोड़े समय में ही इनका यमुना मिशन से जुड़ाव और लगाव अद्भुत और अभूतपूर्व है।
Pradeep Bansal: आपकी बात भी तार्किक और प्रामाणिक है। दिल्ली में तो चारों तरफ़ से माइग्रेंट की बाढ़ है।
Pragati Bhatt: No body said that all educated don’t care about nature , but we all knows educated are the only who were involved in development and most of the pollution things, I think more then 80% of pollution which is harming yamuna river is created by factories and other production companies , and only educated peoples are involved in it , it’s not about only educated and uneducated , it’s about nature only most of the educated actually don’t think about nature but most of the uneducated villagers are aware of nature because they are directly dependent on nature.. so my point was only for those educated people who can understand the importance of nature but not coming upfront for protecting our mother nature.. हम शिक्षित लोगों को ही आसानी से समझा सकते हैं , यदि अशिक्षित भी यह समझ जाते हैं तो मेरे मायने में वो भी शिक्षित हैं।🙏🏻
Pradeep Bansal: बहुत ख़ूब। लेकिन ऐसे ही यमुना मिशन के कार्यों के विषय में भी लिखा करो। हिंदी, इंगलिश दोनों ही भाषा में स्वागत है
Rishi Vohra: Your last lines are the essence of what I have been trying to say. Educated and education are not bad ( believe me). This modern development cant be just blamed on urban and educated people only. The onus lies on the politics, land mafia and lack of awareness in general public ( both urban and rural).
Please don’t mind my views. I am trying to highlight the difference between ‘Gyaan and Saksharta’.
Pragati Bhatt: As I am also an educated youth so can’t say education is bad , education is only the tool which can make a wonderful world but if education of people is harming nature( in terms of Development) then only we are against those educated people..🙏🏻
Pradeep Bansal: बहुत ही अच्छा रहा आप दोनों के बीच का विचार विमर्श। अब रिषी जी और प्रगति जी दोनों से निवेदन है कि समय समय पर अपने विचार रखते रहें। साथ में ये ध्यान रखें कि यदि आप किसी भी तरह यमुना मिशन की कचरा-निपटान की अभूतपूर्व सफल पद्धति को देश की जनता तक पहुँचाने में सफल हो सकेंगे तो निश्चित ही देश के पूरे ढाँचे में सदा के लिए आमूलचूल परिवर्तन हो जाएगा।
धन्यवाद। अब इस सारे विचार विमर्श को लेखक ग्रुप में भी डाल दें।
(The conversation is a WhatsApp group discussion on the above feature image.)